हिरोलवा गांव में हमारी मुलाकात सौ साल की उम्र पार कर चुके गंगोइ यादव से हुई. इनकी हड्डियां जरूर बूढी हो गयी हों पर हौसला नहीं. वे बताते हैं कि इस बार जब बाढ आयी, तो सभी दूसरी सुरक्षित जगहों पर चले गये. गांव में केवल 10 से 15 लोग रह गये. मैं भी रुक गया. बाढ से मुझे बिल्कुल डर नहीं लगा. वह बताते हैं कि वे अपनी जिंदगी में पहले भी इस तरह की बाढ देख चुके हैं, इसलिए यह बाढ उनके लिए एक सामान्य घटना की तरह ही थी. उन्होंने बताया कि कोसी पहले इसी ओर से बहा करती थी, उस समय 1934 के आसपास भयंकर बाढ आयी. उस समय नदी में घडियाल हुआ करता था, इसलिए डर अधिक लगता था. अब तो उसका भी डर नहीं है. मैंने गांव में रुककर सबके सामानों की देखभाल की. जिसके कारण आज लोग मेरे काम भी आ रहे हैं.
Friday, December 19, 2008
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
नई जानकारियों के लिये
Subscribe to BIHAR KOSI BAADH by Email
यहां भी जायें
http://hindi.indiawaterportal.org/
hamara kaam
बाढ़ग्रस्त ज़िलों के हालात
Blog Archive
-
►
2010
(1)
- ► 08/01 - 08/08 (1)
-
►
2009
(3)
- ► 06/07 - 06/14 (2)
- ► 01/04 - 01/11 (1)
-
▼
2008
(35)
- ► 12/21 - 12/28 (3)
- ▼ 12/14 - 12/21 (3)
- ► 11/02 - 11/09 (2)
- ► 10/05 - 10/12 (1)
- ► 09/28 - 10/05 (1)
- ► 09/21 - 09/28 (1)
- ► 09/14 - 09/21 (2)
- ► 09/07 - 09/14 (10)
- ► 08/31 - 09/07 (12)
1 Comment:
mitra, dayniya sthiti hai, media me tabhi tak dikhaya jata hai jab tak sensation ho.
Post a Comment